कहते है कि बच्चे एक गीली मिट्टी की तरह होते हैं। जिन्हें माता-पिता रूपी कुम्हार जिस रूप में ढालते हैं वह उन्ही रूप में ढल जाते हैं। इसका जीता जागता प्रमाण अभी वायरल हो रहे हैं एक वीडियो मे देख सकते हैं। यह वीडियो मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल के गृह मंदिर का है । इस गर्भगृह में 3 साल की बच्ची शिव तांडव का कठिन संस्कृत श्लोक महाकालेश्वर के सामने शिव भक्ति में लीन होकर पाठ कर रही है। ऐसा कहा जाता है कि यह संस्कृत के सबसे कठिन श्लोक में से एक है। इसका पाठ करने से शिव जी का स्वयं आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा जीवन की हर बाधा दूर होती है।
अब प्रश्न यह उठता है कि इतना कठिन श्लोक इतनी कम उम्र में अच्छा उच्चारित करने वाली यह बच्ची है कौन? जिसने शिव तांडव के 17 श्लोक इतनी आसानी से पढ़ लिया हो।
दरअसल इस बच्ची का नाम है एकादशी, शिव तांडव तथा महिषासुर मर्दिनी के इस कठिन श्लोक को याद कराने मे मुख्य भूमिका उस बच्चे की दादाजी तथा पिता की है। बच्ची के दादाजी विजय शंकर शर्मा तथा पिता अभिषेक शर्मा उसी मंदिर के गर्भ गृह के पुजारी हैं। पूजा पाठ का माहौल उस बच्चों को बचपन से ही प्राप्त हुआ। उसकी मां समीक्षा शर्मा का कहना है कि अभी एकादशी मात्र 3 साल की है और उसका प्ले ग्रुप में एडमिशन कराया गया है ।
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घर के माहौल की वजह से उसने कम उम्र में ही इस इस श्लोक को बोलना शुरु कर दिया। घर के वातावरण में पूजा पाठ के दौरान होने वाले मंत्रोचार को एकादशी में काफी कम उम्र में ही ना शुरू कर दिया। उसकी रूचि को देखते हुए उन्हें जो भी सिखाया जाता है वह बहुत दिल से सीखती है। अब एकादशी प्रतिदिन शिव पूजन तथा जल चढ़ाने में शामिल होती है।